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यह ब्लाॅग उन लोगों के
लिए बिल्कुल मददगार साबित नहीं होगा जो लोग निकम्मे हैं, नाकारा है।
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Backpackers Paradise, Sri Lanka Video link |
यह ब्लाॅग उन लोगों के
लिए बिल्कुल मददगार साबित नहीं होगा जो लोग निकम्मे हैं नाकारा है। जिनमें
आत्मविश्वास की कमी है। जो जिंदगी से हारे हुए हैं। जो हमेशा कुछ ना कर पाने के
लिए दूसरों के ऊपर उंगलियां उठाते हैं। कभी वह सरकार को दोष देते हैं, कभी पड़ोसी को दोष
देते हैं, कभी अपनी पत्नी को दोष देते है, कभी अपने मां-बाप को
दोष देते है तो कभी अपने बॉस को दोष देते है, कभी मालिक को
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, कभी भगवान से शिकायत
करते, तो कभी राजनीति को, कभी शासन को, कभी किस्मत को, कभी मौसम को, कभी शरीर को, कभी उम्र को, मतलब उनके जीवन में
हमेशा कोई ना कोई परिस्थितियां ही उनकी नाकामयाबी के लिए जिम्मेदार रहती हैं जो हमेशा शिकायत ही करते है| जो एक नकारात्मक लोग है, जो अपने आप को पूरी
तरह परफेक्ट मानते है और सारी खामियां उन्हें दूसरों में, परिस्थितियों में
दिखती है
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, यह ब्लाॅग उन लोगों के लिए नहीं है, उनके लिए बिल्कुल
बेकार साबित होगा अगर आप वैसे है तो एक बार सोच लीजिए, तभी इसको आगे पढ़ना वरना कोई
फायदा नहीं होगा।
मैं ऐसा क्यों मानता हूँ
इसलिए हक है क्योंकि मैंने अपनी जिंदगी में कभी भी किसी वजह को नहीं माना और मैने
जिंदगी में ज्यादातर काम वही किये है जिन
कामों के लिए लोगों ने कहा कि हो ही नहीं सकता या बेटा तुमसे ना हो पाएगा। कमजोर लोग परिस्थितियों
को वजह मानते हैं और बहादुर लोग अपने अनुसार परिस्थितियों का निर्माण करते हैं |
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समाज हमेशा कमजोरो की मदद करता है
है और बहादुरों के खिलाफ खड़ा होता है। समाज उन्हें क्रिटिसाइज (criticize) करता है। उनका विरोधी
होता है क्योंकि समाज को बहादुरों से डर लगता है क्योंकि वह समाज के नियमों को बदल
सकते है। समाज उन्हें क्रांतिकारी मानता है। विद्रोही मानता है और अगर विद्रोही
होना जीवन को अपने शर्तों पर जीना होता है तो मुझे विद्रोही होने में मुझे कोई
हर्ज नहीं।
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Dhanushkodi, Rameswaram Video link |
जैसा कि मैंने कहा कि समाज हमेशा कमजोरो की मदद करता है| उन्हें
प्रोत्साहित करता है उनका संरक्षण करता है। उदाहरण के तौर पर यदि कोई औरत विधवा हो गई हो, तो समाज उसका साथ देता है, सहानुभूति देता है पर जब वही दूसरी शादी का सोचे तो उसके खिलाफ आवाज उठाने लगता है बजाय हौसला बढ़ाने के । इस वजह से कमजोर लोगों की समाज में
संख्या बहुत ज्यादा है| जिसकी वजह से उन्हें लगता है कि वह सही है और जो
क्रांतिकारी या नए विचारों के लोग होते हैं जो अपने जीवन के साथ प्रयोग करते हैं, समाज
उन लोगों के खिलाफ खड़ा होता है। यह मेरा अपना अनुभव है, जो मैंने इस यात्रा के
दौरान भी महसूस किया कि मेरे अपने ही कई लोगों ने मेरा साथ छोड़ दिया। इस यात्रा
के दौरान क्योंकि मैं समाज के नियमों को तोड़ रहा था।
समाज के कौन से नियम है जो मैं तोड़ रहा था इस यात्रा के दौरान :-
वर्ष की उम्र में यह सब करना ठीक नहीं है। यह उम्र नहीं है। पहले अपने बच्चों की
पढ़ाई पूरी हो जाए, उनकी शादियाँ हो जाए
तब करना।
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लेते, शादी हो गई है, परिवार बन गया है तो
यह रिस्क लेना पागलपन है, यह अपने परिवार के साथ
सही नहीं है।

पैसा कैसे कमाओगे, भविष्य कैसे सुधरेगा, भविष्य कैसे अच्छा बनेगा, बच्चों का क्या होगा।
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आयु में लोग अपने आपको अधेड़ उम्र का या बुढ़ापे की तरफ जाता हुआ मान लेते हैं। अब
बच्चे बड़े हो रहे हैं, अब तो यह सब नहीं किया जा सकता और जो कर रहा है वो फिर पागल
है और उससे असहमत हो जाते है, उससे प्रेरणा लेने की
बजाए।
रखने वाले लोगों और समाज के लिए एक ही स्पष्ट जवाब है कि
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