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Cycle blog 7 : मन्दिर मे गुज़ारी पहली रात

कश्मीर से कन्याकुमारी साईकिल से – 

पहला दिन : 5 November  2019

Blog no. 7

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     उसके बाद मैं वहाँ बैठा। पहली मंजिल पर उनका एक बड़ा
हॉल था। वह हॉल बंद था। उसमें ताला लगा हुआ था। मैं हॉल के गेट पर बरांडे में बैठा रहा। ठंड बढ़ रही थी धीरे-धीरे। मेरे मोबाइल की बैटरी लगभग पूरी तरह समाप्त होने वाली
थी। वहाँ पर बहुत सारे चार्जिंग प्वाइंट (Charging Point) थे, पर इत्तेफाक से किसी में भी करंट
नहीं आ रहा था। तो मैंने मंदिर के स्टाफ
रूम के अंदर अपने मोबाइल को चार्जिंग पर लगाया। पावर बैंक (Power bank) मेरा काम कर रहा था। 

kashmir to kanyakumari by cycle

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     तभी मैंने हाथ मुंह धोया और मुझे बताया गया कि  खाना आरती के बाद शुरू होगा। हाथ मुंह धोकर मैं
आरती लेने मंदिर में गया। पहली मंजिल के ऊपर भी एक मंदिर है और वहाँ पर आरती हुई।
मैंने शाम की चीची माता मंदिर में आरती ली, आरती के बाद मुझे प्रसाद दिया गया। प्रसाद
में मुझे दो केले मिले, जिसकी मुझे बहुत सख्त ज
रूरत थी, एनर्जी के लिए। तो जब
मैंने देखा कि वह प्रसाद में कुछ ही
 लोगों को केले दे रहे और कुछ को कोई और फल दे रहे
हैं तो मैं चाह रहा था कि मुझे केले मिले ताकि मुझे एनर्जी मिल सके और मुझे प्रसाद
के रूप में दो केले ही दिए गए। 
                             kashmir to kanyakumari by cycle
     जैसे ही
आरती समाप्त हुई तो साथ में ही चीची माता का संग्रहालय (Museum) है। मैंने वह
म्यूजियम (museum) देखा। वहाँ पर जो चीची देवी हैं उनकी तस्वीरें लगाई गई हैं। जो चित्रकारी के
तरीके से बनाई गई थीं। उसमें नीचे उनकी सारी कहानी लिखी हुई थी कि यह मंदिर किन
वजहों से बना और इसका नाम चीची माता मंदिर क्यों रखा गया? अंदर फोटो लेना अलाउड (allowed) नहीं था। तो मैंने म्यूजियम के अंदर कोई फोटो नहीं ली। 
वह छोटा सा एक कमरा था। म्यूजियम की दीवारों पर तस्वीरों के रूप में पूरी कहानी लगाई गई थी। मैंने उस कहानी
को पढ़ा

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, तस्वीरें
देखी। कहानी मैं आपको आगे बताऊंगा।

                              kashmir to kanyakumari by cycle
    फिर मैं भोजन करने गया तो वहाँ पर बर्तन रखे
हुए थे। मैंने अपनी प्लेट गिलास और एक चम्मच लिया। रसोई घर के अंदर जो व्यक्ति थे, उन्होंने मुझे भोजन दिया। भोजन में चावल थे, चावल ठंडे थे। उन्होंने वह चावल मेरी
प्लेट में डालें। उसके बाद उस पर गरम गरम दाल जो बनी थी, वो दाल डाली और मैंने वहाँ पर दाल चावल खाए। खाने के बाद मुझे और भूख लगी। तो मैं उनके पास गया और मैंने उनसे
कहा कि मुझे थोड़े से दाल चावल और मिलेंगे तो उन्होंने मुझे दोबारा दाल चावल दिए।
खाना खाने के बाद मैंने अपने बर्तनों को साफ करके उनकी जगह पर रख दिया। ठंड बहुत
तेजी से बढ़ रही थी। 



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