कश्मीर से कन्याकुमारी साईकिल से –
दूसरा दिन : 6 November 2019
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ही जा रहे थे। मैं अभी उठा हूँ और मैं अभी फटाफट अपना सामान साइकिल (Cycle) पर बांध लूंगा।
यहाँ पर पता नहीं नाश्ता मिलेगा या नहीं मिलेगा? नाश्ता अगर मिलेगा तो नाश्ता
मिलने में कितना वक्त लगेगा। इसलिए मैं फ्रेश होकर, ब्रश करके, हाथ मुंह धो कर, सामान बांधकर यात्रा
शुरू करूँगा। लगभग 6:30 बज रहे हैं और अभी मैं यहाँ से निकलूंगा और अपनी यात्रा
का दूसरा दिन शुरू करूंगा।
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मैंने सभी
लोगों से विदाई ली। मंदिर के जिन प्रबंधको ने मेरी रात को मदद करी थी और जो
सुरक्षाकर्मी रात भर मंदिर में तैनात थे, उनसे भी मैंने विदाई ली। वहाँ पर भारतीय
सेना के जवान भी थे।
उनसे मैंने पूछा कि क्या यहाँ पर अक्सर मंदिर-गुरुद्वारों (gurudwara) में
आर्मी होती है तो उन्होंने बताया मुझे कि रात को मंदिर से कुछ किलोमीटर दूर कहीं
पर कोई फायरिंग (Firing) हुई थी, तो जिसकी वजह से सुरक्षा बढ़ा दी गई और फायरिंग करने वाले
पकड़े नहीं गए। ऐसा उन्होंने मुझे बताया। इस बारे में मंदिर के किसी व्यक्ति ने
मुझे रात को भी बताया था।
सबसे विदाई ले कर शुभकामनाएं लेते हुए मैं मंदिर से
निकल पड़ा अपनी यात्रा की तरफ।
मंदिर से कुछ मीटर आगे जाने पर ही मुझे एक मारुति
वैन
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, जिसे ओमनी कहते हैं। वह एक किनारे पर खड़ी हुई दिखी। मैं सीधा चलता रहा। मैंने उस
मारुति वैन को क्रॉस किया। तभी मारुति वैन के अंदर मैंने देखा कि चार लोग बैठे हुए
है। दो आगे और दो पीछे।
जब मैंने उन्हें क्रोस किया तो उनके बीच मुझे कुछ काले रंग की बंदूक
जैसी चीज भी दिखी। मैं घबरा गया और मैं आगे की तरफ चलता तभी उनमें से किसी ने जब
मेरी उनसे नजरे मिली तो उन्होंने मुझे रुकने का इशारा किया। मैं जरा हुआ था।
Cycle Blog Rakesh Sharma
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