कश्मीर से कन्याकुमारी साईकिल से –
पहला दिन : 5 November 2019
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कुछ सुरंग बहुत ही लंबी थी और उनमे अंधेरा भी था। मुझे लाइट जलानी पड़ी। अंधेरे की वजह से यह डर था कि अचानक कोई गड्डा आ गया तो क्या होगा? ऐसा नहीं हुआ, पर एक मनोवैज्ञानिक दबाव था और छोटी-बड़ी सुरंग को पार करने पर खुशी से चिल्लाने लगा। आवाज गूंज रही थी| उसको मैं इंजॉय कर रहा था। कुछ जगह पर ऐसे दृश्य थे, ऐसा कुदरत का नजारा था, ऊंचाई से, जिनको मैंने शूट किया आप मेरे YouTube और Facebook (Rakesh Sharma) पेज पर जाकर देख सकते हैं।
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मैंने उतरते हुए शूट किया है। मेरे साइकिल के आगे एक मोबाइल स्टैंड था जिसमें मैंने अपने मोबाइल को लगा कर उनको शूट किया। कई बार साईकिल की रफ्तार 35 किलोमीटर प्रति घंटा से 45 किलोमीटर प्रति घंटे की हो जाती थी। बीच-बीच में कई चेक पोस्ट आती थी। भारतीय सेना के जवान दिखते थे तो एक सुरक्षा का एहसास होता था। इसी बीच में जहां तक मुझे याद है, एक या दो टोल टैक्स भी आए थे, पर मैं साइकल यात्री था, इसलिए मुझे कोई टोल टैक्स नहीं देना होता था और मैं साइड से निकल जाता था। साइकिल का सबसे बड़ा फायदा था कि जब टोल टैक्स या चेकपोस्ट पर लंबी लाइन लगी होती थी तो मैं साइड से धीरे-धीरे बिना रुके पार कर लेता था। इसी तरीके से फिर जम्मू आने से जस्ट पहले जम्मू शहर के अंदर ना जाकर बाहर बाहर से ही सांबा की तरफ चले गया।
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वहां पर ढलान कम हो गई। फ्लैट एरिया मतलब समतल एरिया आना शुरू हो गया। और कई जगह बहुत चढ़ान भी आती थी। छोटी छोटी पहाड़िया, टीले होते थे जिनके ऊपर से सड़क गुजर रही थी। तो वहां पर कई फौजियों की चेकपोस्ट के पास में रुक जाता था। रेस्ट करता था उनसे बात करने लग जाता था। सुरक्षा की वजह से मैंने उनके साथ सेल्फी नहीं ली। उन्होंने मना किया। कुछ लोगों ने मना नहीं भी किया पर जहां तक हुआ मैंने कभी भी कोई बिना पूछे किसी के साथ फोटो नहीं ली।
इसी तरह चेक पोस्ट पर जब मुझे भारतीय सेना के जवान मिलते थे, जो दक्षिण भारत से होते थे और जब मैं उन्हे बताता था कि मै कन्याकुमारी जा रहा हूँ साइकिल से तो बड़े हैरान होते थे। कई जगहों पर सेना के जवान जो दक्षिण भारत से होते थे। वह मुझे वहां की जानकारी दे देते जैसे मौसम की जानकारी देते थे। मुझे किस रास्ते से जाना चाहिए वह बताते थे। ज्यादा से ज्यादा जानकारी देकर मेरी मदद करना चाहते थे। ताकि मैं सही सलामत और सुरक्षित कन्याकुमारी तक अपनी यात्रा पूरी कर सकूं।
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