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Kashmir to Kanyakumari by cycle blog 4

कश्मीर से कन्याकुमारी साईकिल से – 

पहला दिन : 5 November  2019

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Blog no. 4

kashmir to Kanyakumari by cycle


एक जगह पर एक नदी के ऊपर बहुत लंबा ब्रिज आया। उसको मुझे पार करना था और वहाँ पर एक पुराने से स्कूटर पर दो लड़के मेरे पास से गुजरे उन्होंने स्कूटर धीरे किया और उन्होंने कहा आपको कुछ चाहिए, हम आपको लाकर दे सकते हैं। मैंने कहा नहीं थैंक यू और वह आगे चले गए।

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मैं सोचता रह गया कि अगर मैं उनको बोल देता कि मुझे कुछ फ्रूट ला दो तो अच्छा होता। उसका एक कारण यह था कि फ्रूट मुझे भी चाहिए थे, दूसरा यह कि अगर मैं उनसे फ्रूट ले लेता तो एक  जिंदगी भर के लिए उनसे एक जुड़ाव बन जाता। उनके पास एक याद होती कि हमने एक साइकिलिस्ट को जो कश्मीर से कन्याकुमारी जा रहा था। हमने उसको एक सेब दिया, या कुछ केले दिए, या कुछ भी, वो एक याद बन जाती। पर मैं जब तक सोचता वह आगे चले गए। मैं आगे बढ़ता रहा।


दोपहर हो चुकी थी। सूरज सिर के ऊपर था। मौसम के हिसाब से तो ठंड होनी चाहिए थी। पर दोपहर को मुझे बहुत गर्मी लग रही थी। साइकिल चलाने की वजह से बहुत ही ज्यादा परेशानी हो रही थी गर्मी से। भूख भी लग रही थी क्योंकि दोपहर का खाना खाया नहीं था।


तभी लगभग 3:30 बजे के आसपास। बीच में एक आबादी वाली जगह आई, एक छोटा शहर। वहाँ पर सड़क के किनारे एक ढाबा था। कुछ लोग खाना खा रहे थे। ₹20 के राजमा चावल का बोर्ड देखा मैंने और मैंने उनसे कहा 1 प्लेट राजमा चावल दे दो। ₹20 देखकर मुझे बड़ी खुशी हुई कि पैसे बचेंगे। पर उन्होंने कहा कि राजमा चावल खत्म हो चुके है। नान की थाली है।

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जो उत्तर भारत में रहते उन्हें पता है कि उत्तर भारत में दोपहर के समय बाजार में दोपहर के खाने में नान की थाली मिलती है और वह बहुत हैवी होती है। नान मैदे के होते हैं मैंने वह खाने नहीं थे। तो मैं वहाँ से आगे चल पड़ा। फिर मैंने कहीं एक छोटी सी दुकान देख कर चाय पी और बिस्किट खाए। और मैं सांबा की तरफ तेजी से बढ़ गया

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