कश्मीर से कन्याकुमारी साईकिल से –
पहला दिन : 5 November 2019
Blog no. 5
मेरी साइकिल के हैंडल का जो बेरिंग है, उस बैरिंग में कुछ प्रॉब्लम हो रही थी। एक जगह पर मैं रुका। इत्तेफाक से वहीं पर एक साइकिल की दुकान थी। दुकान बड़ी थी। मुझे देखकर और साइकल पर लगा बोर्ड देखकर दुकान का मालिक बाहर आया।
मैंने उसे अपनी यात्रा के बारे में और साइकिल की परेशानी के बारे में बताया। पर उसने ज्यादा ध्यान ना देते हुए कहा कि डेड़ सौ रुपए लगेंगे। डेड़ सौ रुपए का नाम सुनकर, मैं टालमटोल कर के आगे की तरफ चल दिया। बस इतना पूछा कि इससे कोई बड़ी दिक्कत तो नहीं आएगी। उसने कहा कोई दिक्कत नहीं आएगी। आप चला सकते इसको।

मुझे लगा था कि वह अपनी तरफ से एक बैरिगं डाल कर
साइकिल को ठीक कर देगा। पर उसने ऐसा नहीं किया और मैं आगे की तरफ चल दिया। लगभग 5:00 बजे का समय हो चुका था और मैं सांबा की तरफ बढ़ रहा था। तभी मैंने रास्ते में कई सारे भारतीय सेना के जवान देखे। जगह-जगह पर उनकी गाड़ियाँ भी देखी। फिर एक गुरद्वारा आया हाईवे के ऊपर। यह गुरुद्वारा सांबा में चीची माता के मंदिर से लगभग 7 से 8 किलोमीटर पहले उसी हाईवे पर है।
उस गुरुद्वारे के बाहर कुछ भारतीय सेना के जवान खड़े थे और एक उनकी बस थी, जिसमें वह आए होंगे वह भी खड़ी थी। मैंने वहाँ जाकर साइकिल को रोक दिया। पानी पीने लगा। पसीना पहुंचने लगा तभी उन जवानों ने आकर मुझसे बात करी। आप कहां से आए हो? उनमें जम्मू पुलिस के भी कुछ जवान थे। उन्होंने भी मुझसे बात करी कहाँ से आए हो? कहाँ जा रहे हो? अकेले हो और इस तरह की बात करने के बाद उनके सीनियर अधिकारी आए, उन्होंने मुझसे कुछ देर बात करी।
बातों बातों में उन्होंने मेरे आई कार्ड चेक किए। मैंने उनको कहा कि मैं बहुत थक चुका हूं। मुझे थोड़ी देर आराम करना है। उन्होंने कहा यह गुरुद्वारा है, अभी आराम कर सकते हो। आप रात कहाँ रुकोगे? तो मैंने कहा मेरा रात रुकने का कोई इंतजाम नहीं है तब उन्होंने कहा कि आप चाहो तो इस गुरुद्वारे में भी रात रुक सकते हो।
तभी गुरुद्वारे के जो पाठी हैं, जो गुरुद्वारे में पाठ करते हैं, वह भी वही थे और उन्होंने कहा कि आप इस गुरुद्वारे में रुक सकते हो।
पर इस गुरुद्वारे में खाने की व्यवस्था नहीं है। लंगर की व्यवस्था नहीं है। पर अगर आप 7 से 8 किलोमीटर आगे जाओगे तो चीची माता का मंदिर है, हाईवे के ऊपर सांबा में। वहां पर आपको रुकने की जगह और खाना भी मिल जाएगा।
तो मैंने कहा 8 किलोमीटर बहुत ज्यादा दूरी नहीं है मेरे लिए और अभी वक्त भी कुछ 5:00 बजे हैं। पर अंधेरा होना शुरु हो गया था क्योंकि सर्दियों के दिन है और मैं उनसे मिलकर चीची माता मंदिर की तरफ चल पड़ा।
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