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Cycle Blog no. 12 : भारतीय सेना के साथ सफर

कश्मीर से कन्याकुमारी साईकिल से – 

दूसरा दिन : 6 November  2019


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Blog no. 12

दिन निकल आया था, धूप निकल चुकी थी और लोग रास्ते में मिलते थे, फोटो लेते थे, सेल्फी ले रहे थे। सवाल करते थे। किसी दुकान पर रुक कर मैंने चाय पी।

Kasmir to Kanyakumari Cycling blog Rakesh sharma

मैं सांबा डिस्टिक पार कर रहा था। दरौली जहाँ पर चीची माता का मंदिर था। अब मैं छटवाल, घगवाल होते हुए कठुआ की तरफ जा रहा था और कठुआ से मुझे लखनपुर की तरफ जाना था और लखनपुर से पठानकोट (पंजाब) में मैंने प्रवेश करना था। यह मेरा आज का लक्ष्य था।


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बीच में एक एरिया ऐसा आया जहाँ पर दोनों तरफ भारतीय सेना के जवानों के क्षेत्र थे। हम छावनी भी कह सकते हैं। दोनों तरफ उनके बेस कैंप या मुझे ज्यादा सेना के बारे में जानकारी नहीं है। जहाँ पर वह हमारे सैनिक रहते हैं, उनका क्षेत्र होता है, अभ्यास करने वाला क्षेत्र, दोनों तरफ, और बीच से सड़क गुजर रही थी।

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जो सैनिक गेट पर और ऊपर मचान से सुरक्षा कर रहे थे वह मुझे देख रहे थे। मैं उन सड़कों को पार करता था और दोनों तरफ ऊँची दीवारें होती थी। कटीली तारे लगी होती और उन तारो पर कांच की बोतल बंधी होती थी। वो तो मुझे पता नहीं कि वह किसलिए बांधी जाती थी। मैंने सोचा था कि मैं जब कोई जवान मिलेगा तो मै उनसे पूछूंगा कि यह क्यों बांधी गई है?
भारतीय सैनिकों को देखकर मुझे बड़ा गर्व होता था और अपनी साइकल (Cycle) पर लगे हुए तिरंगे को देखकर मुझे लगता था कि मैं भी इनकी तरह कुछ अपने देश के लिए कर रहा हूँ। और एक गर्व के एहसास के साथ उन्ही सड़कों पर जो कभी ऊँची हो जाती थी तो कभी नीची हो जाती थी। उन पर मैं आगे बढ़ता रहा।


Cycle Blog Rakesh Sharma


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