कश्मीर से कन्याकुमारी साईकिल से –
दूसरा दिन : 6 November 2019
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Blog no. 14

वहां पर कुछ लोग सो रहे थे। कुछ आदमी लेटे हुए थे एक
बच्चा और एक बड़ा लड़का जो मेरे पास ही बैठे हुए थे। औरतें खाना बना रही थी, कुछ और थे बच्चों को नेहला रही थी, कुछ कपड़े धो रही थी। मैंने उनसे पूछा कठुआ यहां से
कितनी दूर है? उनसे बात करने से पहले ही मैंने अपनी साइकिल (Cycle) के हैंडल के ऊपर लगे
हुए अपने मोबाइल का कैमरा ऑन कर रखा था
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जब मैंने उनसे यह सवाल किया कि कठुआ
यहां से कितनी दूर है तो उन लोगों ने ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखाई मुझसे बात करने
में सिर्फ एक लड़के ने जवाब दिया कि यहां से कुछ किलोमीटर दूर है तो छोटे बच्चे ने
पूछा कि आप साइकिल (Cycle) से कठुआ जाओगे तो मैंने उनको बताया कि मैं कश्मीर से आ रहा हूं।
उस बच्चे ने पूछा कश्मीर में कहां से आ रहे हो तो मैंने उन्हें जवाब दिया कि मैं
अनंतनाग से आ रहा हूं। मैंने उनसे यह बात झूठ बोली क्योंकि मुझे उन उनकी जीवनशैली
देखकर यकीन हो गया था कि एक शुद्ध कश्मीर के लोग है तो वह मुझसे खुलकर बात कर सके
इसलिए मैंने अनंतनाग बोल दिया कि मैं अनंतनाग से आ रहा हूं।
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तभी वह छोटा बच्चा
जोर-जोर से बोलने लगा अपनी कश्मीरी भाषा में कि मैं अनंतनाग से आ रहा हूं। उसने
अपने लोगों को बताया कि अरे देखो यह अनंतनाग से साइकिल (Cycle)से आ रहा है। यह बात वह
कश्मीरी भाषा में बोल रहा था। तभी एक दो बड़े लोग भी उठ करके मेरे पास आए मेरी
साइकिल (Cycle) को देखने लगे। वह छोटा बच्चा भी साइकिल (Cycle) पर लगी हुई लाइट को, मीटर को, मेरे हेलमेट को देखने लगा और वह लोगों ने मुझसे बात
करना शुरू किया।
उन्होंने मुझसे कई सवाल पूछे मेरी यात्रा के बारे में और मैं
उन्हें जवाब देता रहा। कुछ लोगों को वह जवाब पूरी तरह समझ नहीं आ रहे थे भाषा के
अंतर की वजह से। वह इसी बात से हैरान हो रहे थे कि मैं कश्मीर से यहां आया हूं साइकिल (Cycle) से और
मैं उन्हें समझा नहीं पा रहा था कि मैं कश्मीर से कन्याकुमारी जा रहा हूं और
कन्याकुमारी
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यहां से कितनी दूर है?
अब मेरी बारी थी सवाल पूछने की।
Cycling Blog Rakesh Sharma
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