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Mistakes are proof you are trying.


Cycle Blog no. 16 : मेरे सफर का पहला पंचर

  कश्मीर से कन्याकुमारी साईकिल से – 

दूसरा दिन : 6 November  2019


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Blog no. 16

    जैसे ही मैं थोड़ा सा आगे चला, मुश्किल से 10 कदम, तो
मैंने देखा मेरी साइकिल 
(Cycle) का पीछे वाला टायर पंचर है। उसमें बिलकुल हवा नहीं है। वह
पंचर हो गया और यह देख कर के मैं बहुत परेशान हो गया। क्योंकि मुझे पंचर लगाना था
और यह मेरी जिंदगी का पहला पंचर था। क्योंकि
काठमांडू से दिल्ली आते समय मेरी
साईकिल (Cycle) में एक भी पंचर नहीं हुआ था। काठमांडू में मैंने सीखा था पंचर कैसे लगाते
हैं, पर प्रैक्टिकली अभी तक लगाने का मौका नहीं मिला था।

Kashmir to Kanyakumari cycling blog rakesh sharma


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    यह पहला पंचर था और इसमें
एक समस्या यह भी थी कि इसमें जितना टाइम लगेगा वह मेरे को आगे की यात्रा में देरी
कर सकता है। अच्छी बात यह थी कि मेरी साइकल
 (Cycle) का पंचर जहाँ हुआ, वहाँ पर यह खानाबदोश
लोग हैं जो मेरी मदद कर सकते हैं। अगर कोई दिक्कत हो तो और इनके बिल्कुल साथ में
छोटा सा ढाबा है और वह ढाबे वाला ट्रकों के पंचर भी लगाता है। तभी एक ट्रक पीछे से
आकर रुका। उसमें एक छोटा बच्चा भी था। वह अपने ट्रक की स्टेफनी का पंचर लगवाने
लगे और मैंने भी अब
साइकल (Cycle) से सामान खोलना शुरू किया। 

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     बैग निकाला, मुझे पंचर लगाना
था। पिछले टायर में पंचर होना आगे के टायर के मुकाबले ज्यादा दिक्कत देता है
क्योंकि साइकल
 (Cycle) गेअर वाली थी। तो उसमें साइकल (Cycle) के पिछले टायर का पंचर लगाने के बाद
सेट करने में ज्यादा वक्त लगता है, मेरे लिए। क्योंकि जिन्हे आता है
, जिन्हें प्रैक्टिस है, वह यह काम आराम से कर सकते है। पंचर लगाने वाला साइकल (Cycle) के पंचर लगाने में दिलचस्पी
नहीं रख रहा था क्योंकि एक तो वह ट्रक के पंचर लगा रहा था और दूसरा उसको इस
साइकल (Cycle) को खोलना और बंद करना भी नहीं आ रहा था और सच कहूं तो मैं खुद चाहता था कि यह पंचर
मै ही लगाऊं और उसने मुझे कहा कि आपको किसी भी तरह की कोई चीज चाहिए हो तो आप मेरे
पास से ले सकते हैं या यहाँ पर यह पानी भरा हुआ है टब के अंदर आप इसमें पंक्चर को
ढूंढ सकते है।

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    आपको जैसे पता होगा कि ट्यूब में हवा भर के पंचर ढूंढा जाता है पानी
में डूबो कर। जहाँ से बुलबुले निकलते हैं फिर वहाँ पंचर पर निशान लगाया जाता है तो
मैंने उसे कहा नहीं मेरे पास पंचर लगाने के सभी सामान मौजूद है। मैंने टायर खोला
उसमें से ट्यूब निकाली और मेरे पास जो छोटा फोल्डिंग हवा भरने का पंप था, उससे
मैंने उसमें हवा भरी 
साइकिल (Cycle) मे और फिर उसको चेक किया और जल्दी ही मुझे वो पंचर मिल गया और मैंने उसके ऊपर एक सर्कल बनाया और उसको रब करना शुरू किया और उस पंचर को मैंने लगाया।

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    उसके बाद मैंने उस छोटे बच्चे के साथ सेल्फी ली जिसने पंचर लगाने में मेरी मदद करी थी और टायर को सेट किया था। उस बच्चे का हेयर स्टाइल बहुत ही अच्छा था। उसने बिल्कुल सिर के बीचो-बीच चोटी बनाई हुई थी ऊपर की तरफ। फिर वहाँ से उन सब लोगों से विदा लेते हुए, पंचर वाले से भी बात करते हुए, एक चाय पीने के बाद में वहाँ से चल पड़ा साइकल (Cycle) से लखनपुर की तरफ क्योंकि मुझे लखनपुर से पंजाब में एंट्री करना था। मेरा आज का लक्ष्य था कि मैं आज पंजाब में अमृतसर तक पहुंच जाऊँ और वाघा बॉर्डर के आसपास, अमृतसर में रात रुकूँ क्योंकि मैंने आज सुबह जल्दी शुरुआत करी थी और मुझे लग रहा था कि मैं आसानी से पहुँच जाऊँगा पर पंचर होने की वजह से मेरे लगभग 2 से ढाई घंटे ज्यादा लग गए।

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