दूसरा दिन : 6 November 2019
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Blog no. 17
मैंने साइकल (Cycle) थोड़ा जल्दी जल्दी से चलाना शुरु किया। थोड़ा
सा डर भी था कि कहीं दोबारा पंचर ना हो जाए क्योंकि एक बार हो चुका था तो दिमाग
में वह बात थी। मुझे लखनपुर पहुँचने की जल्दी इसलिए भी थी क्योंकि वहाँ पहुँचते
ही मेरा फोन चालू हो जाएगा और इंटरनेट
मुझे मिल जाएगा। मैं अपने घर फोन कर सकता था और लोगों से जुड़ सकता था कि अभी तक
कई दिनों से किसी को भी मैं संपर्क नहीं कर पाया था। सिर्फ कटरा से मैंने अपने परिवार
से बात करी थी।
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जल्दी ही लखनपुर आ गया। लगभग 3:00 बज रहे थे। लखनपुर से पहले एक
बहुत बड़ा टोल टैक्स गेट भी आया और उसको पार करने के बाद मेरी कई भारतीय सेना के
जवानों से बात हुई, पानी
पिया मैंने, वहाँ उनके साथ फोटो ली। अब मैं लखनपुर के बॉर्डर पर था, जहाँ पर काफी सारे ट्रक खड़े
थे, ढाबे थे।
3:30 बजे का वक्त था और मैंने वहाँ पर एक ढाबे पर दाल चावल खाए। मैंने उनसे एक
प्लेट दाल चावल लिया तो दाल चावल उन्होंने अलग-अलग ना देकर के दाल को चावल में
मिक्स करके, गर्म
करके मुझे प्लेट में डाल कर दिया और मैंने वह खाना खाकर अपना फोन चेक किया मेरा
फोन चालू हो चुका था। मैंने अपने घर फोन किया,
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सोशल मीडिया पर अपनी लोकेशन डाली साइकल (Cycle) के साथ।
वह जो ढाबे थे पीछे उनका घर था। ज्यादातर लोगों ने अपने घर के बाहर ही ढाबे बनाए हुए थे और थोड़ा सा आगे चलते ही छोटा सा एक बॉर्डर आया जैसे ही मैंने बॉर्डर क्रॉस किया पंजाब पुलिस बॉर्डर पर खड़ी थी। पठानकोट में मैंने एंटरी कर ली थी साइकल (Cycle) के साथ। पठानकोट, पंजाब का हिस्सा है।
वहाँ पर एक टेंपरेरी (temporary) झोपड़ी बनी हुई थी। जिसमें कुछ लोग बैठे हुए थे उन्होंने मुझे
आवाज लगा कर बुलाया अपने पास। मैंने वहाँ पर रेस्ट किया
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, पानी पिया
वहाँ पर उनसे मैंने जब अमृतसर का रास्ता
पूछा और मैने उन्हे बताया कि पठानकोट से अमृतसर की तरफ जा रहा है और मैंने फिर वहाँ से जालंधर जाना है। उन्होंने बताया कि अगर आप अमृतसर होकर जाएंगे तो आपको बहुत
लंबा पड़ेगा साइकल (Cycle) से और आप चाहो तो आप सीधे भी जालंधर जा सकते हो। ये रास्ता आपको छोटा
पड़ेगा। मुझे अच्छी तरह याद है उनमें से एक आदमी ने कहा था कि पता है इनका हेलमेट
कितना महंगा है यह 40000/- का हेलमेट है। मै हंस पड़ा।
वहीं पर शाम हो चुकी थी मुझे जल्दी पहुँचना था इसलिए मैंने अमृतसर वाला रूट छोड़कर जालंधर वाला रास्ता लेने का फैसला किया। वहाँ से चला मैं पठानकोट सिटी पहुंचा साइकल (Cycle) से और अमृतसर को ना जाकर मै और तेजी
से साइकिल चला रहा था क्योंकि मुझे उम्मीद थी कि मैं पहुंच जाऊंगा। आज रात तक जालंधर जैसे ही मै पठानकोट बॉर्डर से पठानकोट शहर की तरफ बड़ा, शहर आया शहर के अंदर काफी भीड़ भाड़ वाला इलाका था। मै अमृतसर की तरफ नहीं गया। जालंधर की तरफ चल पड़ा काफी लोग मिले बातचीत होती रही। लोग फोटो लेते रहे, मेरे बारे में पूछते रहे इसी तरीके से करते करते।
जैसे ही पठानकोट शहर पार किया तो एक बहुत ऊंची और खड़ी चढ़ाई आई जिसे मैं कभी भी नहीं भूल सकता, मतलब इतनी जबरदस्त चढ़ाई थी और वह चढ़ाई को मुझे पार
करने में लगभग पौना घंटा लगा साइकल (Cycle) से और बहुत ही खड़ी चढ़ाई थी छोटी थी पर खड़ी चढ़ाई थी
बिल्कुल जस्ट पठानकोट शहर से जालंधर की तरफ जाते टाइम पठानकोट के बाहरी हिस्से में
आती है।
Cycling Blog Rakesh Sharma
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