~ Travel and Knowledge ~

Mistakes are proof you are trying.


Cycle Blog 22 : गुड़ बनाने वालों से बातचीत

   कश्मीर से कन्याकुमारी साईकिल से – 

तीसरा दिन : 7 November  2019

Blog no. 22

   
उन्होंने मुझे बैठने के लिए चारपाई दी और कहा कि आप बैठो आराम से। फिर मैं वहाँ बैठ गया आराम से और वीडियो बनाने लगा। मैंने देखा कि दो बड़ी-बड़ी कढ़ाइयों में कुछ चीज़ें पक रही हैं, नीचे आग जल रही है। भट्टी लगी हुई है। एक जगह कोलहू चल रहा है। गन्ने देखने मे कुछ पतले और काले से थे। उसमें से रस निकल रहा था। काले रग का रस, वैसा रस नहीं जैसा हम गन्ने का रस पीते हैं। वो रस निकल रहा था और एक पाइप के द्वारा कढ़ाई मे जा रहा था और उबल रहा था।
cycle blog rakesh sharma


      उबलते हुए रस के ऊपर काफी गन्दगी और झाग आ रही थी। एक आदमी वहाँ खड़ा होकर उस गन्दगी और झाग को हटा रहा था। फिर वो रस वहाँ से दूसरी कढ़ाई मे जा रहा था। मैने इस पूरे प्रोसेस (process) का वीडियो बनाया और उस वीडियो को ठीक-ठाक (edit) करके मैंने एक टाइटल (title) दिया कि “Watch how to make gud | देखिए गुड़ कैसे बनता है ” और उस वीडियो को मैने अपने यूटयूब चैनल (YouTube Channel -Rakesh Sharma) पर अपलोड (uplooad) किया। 


cycle blog rakesh sharma
Watch how to make gud | देखिए गुड़ कैसे बनता है


      उसमें मैंने पूरे गुड़ बनने का प्रोसेस (process) दिखाया है। और हैरानी की बात ये है कि जब उन्होंने मुझे चाय offer करी, और उनमें जो सबसे बुजुर्ग व्यक्ति थे उन्होंने मुझसे पूछा कि कहाँ से आ रहे हो। तो मैंने उन्हें बताया कि मैं कश्मीर से आ रहा हूँ, कन्याकुमारी जा रहा हूँ। तो उन्होंने मुझसे पूछा कि क्या यूपी (UP : Uttar Pradesh)) से भी आगे? मैंने कहा कि हाँ। फिर उन्होंने पूछा कि गंगा सागर से भी आगे? गंगा सागर बगाल की तरफ है। पर मैंने उनको कहा कि हाँ मुझे गंगा सागर जितना ही आगे जाना है। क्योंकि वो अपने जीवन में सबसे लम्बी यात्रा करके गंगा सागर तक गए थे, तो उनके लिए दूरी का अन्दाज़ा लगाने के लिए मैंने उनको हाँ कहा। उससे वो समझ गए थे कि मुझे अभी और कितना आगे जाना है। तो वो बहुत हैरान हुए कि ये आदमी गंगासागर से भी आगे जाएगा। 

     उन्होंने फिर मुझे विस्तार से समझाया कि गुड़ (Jaggery) कैसे बनाया जाता है। तभी एक आदमी एक कटोरी मे रस लेकर आया और बोला कि आप ये रस पियो। मैंने देखा कि जो गन्दा सा काले रग का रस जो मुझे निकलता हुआ दिख रहा था, वो कटोरी मे लेकर आए थे। वो देखने मे काफी गन्दा था और उसमे कुछ गन्ने के छिलके भी आ रहे थे। सच बताऊँ तो उसमें एक दो मधुमक्खी (honeybees) भी मरी हुई थी। पर मैंने उस रस को साफ किया और पिया। क्योंकि मेरे लिए वो चीज़ गन्दी या अच्छी से ज्यादा ये बात अहमियत रखती थी कि उन्होंने मुझे आदर से पीने के लिए दी थी।

cycle blog rakesh sharma


     वो रस पीने में बहुत ही ज़्यादा मीठा था। मतलब इतना मीठा की मैंने जो चीनी अपने जीवन मे खाई है, ये उससे भी ज़्यादा मीठा था। फिर उन्होंने मुझे ये बताया कि गुड़ में, चीनी में और शक्कर में क्या फर्क होता है। खांड में क्या अन्तर होता है। उन्होंने दिखाया कि दूर जो वो इमारत है वो शूगर मिल (sugar mill) है। उनके पास से कई चीज़े वहाँ जाती हैं बनने के बाद। फिर वो चीनी मे परिवर्तित (convert) करी जाती है। इस सब की पूरी जानकारी मेरे वीडियो में है, आप वहाँ जा कर देख सकते हैं या मैं अपने इस ब्लाॅग के वीडियो ब्लाॅग (video blog) के टेब (tab) मे डाल दूँगा आप वहाँ से भी देख सकते हो।

    पर मेन (main) बात जो मैं आपको बताना चाह रहा हूँ कि जब मैं वहाँ से चलने लगा तो उन्होंने कहा, नहीं-नहीं, आप बैठो पहले, आराम करो। तभी एक आदमी गुड़ लेकर आया। वो गुड़ काफी सख्त था। तभी वो बुज़ुग व्यक्ति बोले कि आप ये मत खाओ। फिर वो मेरे लिए गरम-गरम गुड़ लेकर आए। वो बहुत ही नरम (soft) था।
उन्होंने मुझे गुड़ खिलाया।  वो साथ में शक्कर भी लेकर आए थे। वो बोेले ये भी खाकर देखो ये सोडे से बना है। मैंने जब उसको खाया तो उसका स्वाद बहुत अलग था और अच्छा भी था। वो बहुत हद तक चाॅकलेट (chocl
ate) जैसा लग रहा था। और मैं अभी खा ही रहा था कि उन व्यक्ति ने एक लिफाफे में भर कर मुझे गुड़ दे दिया। जितना गुड़ लोग उनसे पैसे देकर ले रहे थे उतना गुड़ उन्होंने मुझे दे दिया। वो लगभग दो किलो गुड़ था। मैंने उनको मना किया तो वो बोले कि नहीें आप ये खाकर भी जाओ और लेकर भी जाओ। रास्ते में आपके काम आएगा। गुड़ प्रदूषण (pollution) से बचने में बहुत फायदा करता है। 

     मैंने भी गुड़ ले लिया क्योंकि मैं जानता था कि मैं कुछ घन्टों में जालंधर पहुुँच जाऊँगा। और थोड़ा गुड़ मैं वहाँ छोड़ सकता हूँ। लेकिन अगर मुझे जालन्धर नहीं रूकना होता तो शायद मैं इतना वज़न साइकल (cycle) पर नहीं बढ़ाता।
   उनसे मिलकर मुझे बहुत ही अपनेपन का अहसास हुआ। मैंने उनसे पूछा था कि आप कहाँ से हो तो उन्होंने मुझे बताया कि हम यूपी के बागपत (Baghpat) से हैं। हम हर साल यहाँ पंजाब आते हैं और जो लोग गन्ना उगाते हैं, उनसे गन्ना लेकर हम गुड़ बनाते हैं। गुड़ बनाकर यहाँ रिटेल (retail) में भी बेचते हैं और काफी बड़ी मात्रा (quantity) में गुड़ अपने गाँव में ले जाकर भी बेचते हैं। और कुछ हम शुगर मिल में भी सप्लाइ (supply) करते हैं। उन्होेंने बताया कि वो तीन से चार महीने यहीें रहेंगे और फिर चले जाँएगे। यहाँ पर वो अपने पूरे परिवार के साथ रह रहे थे।

cycle blog rakesh sharma

     ये मेरे लिए बहुत ही बड़ा अनुभव था। मैंने गुड़ बनते हुए देखा, खाया और उनकी दरियादिली भी देखी। उनका अपनापन देखा। वहाँ बिताए कुछ पलों मेें सारी थकान गायब हो गई, नया जोश वापस आ गया। फिर मैं उनसे विदाई लेकर वहाँ से चल पड़ा। आगे मुझे और भी कई गुड़ बनाने वाले मिले पर मैं वहाँ नहीं रूका। क्योंकि मेरा गुड़ के बारे में जो जानने का मकसद था, वो पूरा हो चुका था।



Cycle Blog Rakesh Sharma

Leave a Reply

Blog at WordPress.com.

%d bloggers like this: