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मांगलिक क्या होता है ?
मांगलिक होने पर शादी कैसे हो सकती ?
मांगलिक की नोन मांगलिक से शादी कैसे हो सकती है ?
दोस्तों नमस्कार आज का ब्लॉग में ज्योतिष के बहुत ही महत्वपूर्ण विषय मांगलिक के ऊपर लिख रहा हूं और आशा करता हूं कि मैं जो जानकारी दूंगा बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारी होगी और इससे बहुत सारे लोगों के जीवन में आने वाली रुक आफ थे और वहीं रुक आप तो मैं बहुत सहायता होगी क्योंकि मांगलिक एक ऐसा विषय है कि इस वजह से बहुत अच्छे रिश्ते आने के बाद वर और वधू के बीच तालमेल बैठने के बाद भी शादी को मना कर दिया जाता है क्योंकि मांगलिक एक कारण बनता है कई बार ऐसा कहा जाता है कि यदि वर या वधू में से कोई एक मांगलिक हो तो किसी दूसरे की मृत्यु हो जाती है या कुछ समय बाद उनकी शादी टूट जाती है तो क्या ऐसा होता है क्या ऐसा सच में होता है या नहीं होता है यह झूठ है या सच है या इसके बारे में पूरी जानकारी नहीं दी जाती इस बारे में मैं यह लिख रहा हूं तो दोस्तों सबसे पहले मैं आपको यह बताना चाहता हूं कि जो भी आपको इस ब्लॉग में जानकारी मिले आप उसे ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाना इस ब्लॉग को शेयर करना उसका मकसद यह है ताकि वह भी जो समस्या इससे जुड़ी हुई झेल रहे हैं या आने वाले समय में जब उनके बच्चे विवाह योग्य होंगे तब भी लेंगे तो उन्हें यह मदद मिलेगी और उन्हें वह समस्याएं नहीं आएंगी।
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अब मैं आपको यह बताता हूं कि मांगलिक कुंडली में कैसे देखा जाता है। तो पहले हम बात करते हैं मांगलिक मतलब नाम सही आपको पता चल रहा होगा मंगल ग्रह का प्रभाव मतलब किसी व्यक्ति के ऊपर या जिस भी जातक के ऊपर मंगल का प्रभाव ज्यादा है। किन्हीं विशेष भावों के अंदर होने पर हम मान लेते है। कुंडली आप लोगों ने देखी होगी किस तरह की होती है। कुंडली के अंदर 12 भाव होते है। मतलब 12 बॉक्स या खाने होते है। उन 12 भाव में सबसे प्रथम, सबसे सामने, सबसे ऊपर वाले भाग को हम पहला भाव मानते है। और उसके बाद घड़ी की विपरीत चाल, मतलब एंटी क्लॉक वाइज (clockwise) हम एक-एक करके आगे बढ़ाते हैं और इस तरीके से 12 भाव पूरे होते हैं तो कुंडली के अंदर नौ ग्रह 12 भाव में कहीं ना कहीं स्थित होते है। मांगलिक हम तब कहते हैं जब कुंडली में 1, 4, 7वे, 8वे और 12वे भाव के अंदर मंगल हो तो हम कहते हैं जातक या जातिका मांगलिक है। परंतु इन्हीं भावों में कई बार मंगल ग्रह के स्थित होने के बावजूद, मांगलिक होने के बावजूद मांगलिक दोष का परिहार हो जाता है। मतलब मांगलिक दोष भंग हो जाता है, निरस्त हो जाता है, प्रभावहीन हो जाता है। उस स्थिति में अगर कोई आपको यह कहे कि आप मांगलिक हो तो यह एक सच है, आधा सच है पूरा सच यह है कि आप मांगलिक हो परंतु आपका मांगलिक होना निष्क्रिय हो चुका है। इसलिए आप मांगलिक तथा नॉन मांगलिक किसी से भी आप विवाह कर सकते हो तो इसलिए पूरी जानकारी बहुत जरूरी है। वह किन स्थितियों में मांगलिक होते हुए मांगलिक दोष भंग हो जाता है यह हम आगे बात करेंगे।
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मांगलिक को दोष क्यों कहा जाता है क्योंकि मंगल एक उग्र ग्रह है, एक उत्तेजित ग्रह है, एक ऊष्मा प्रधान (गर्म) ग्रह है, गर्म ग्रह है, ऊर्जा से भरा हुआ ग्रह है। जिसकी सहनशक्ति कम है जो हर घटना पर तुरंत ही अपने विचार रखना, रिएक्ट करना। इस तरह का मंगल का स्वभाव है। मंगल ऊर्जा, मंगल गुस्सा, मंगल हिंसा, मंगल आक्रामकता, मंगल रक्त को बहाना या रक्त का बहना, दुर्घटना, सहनशक्ति की कमी होना इस तरीके का मंगल सव्भाव है। उसकी वजह से इन 5 भावों में यदि मंगल हो तो हम यह मानते हैं कि इससे वैवाहिक जीवन में मंगल के यह दुष्ट प्रमाण मिलेंगे पर मंगल के बहुत सारे लाभ भी है। हर ग्रह नुकसान देता है तो फायदा भी देता है पर यहां पर मंगल के यह नुकसान इन पांच भाव में वैवाहिक जीवन इत्यादि के लिए सही नहीं होते है। यह एक जनरल फलादेश है। एक जनरल मंगल का नेचर है। इन्हीं स्थिति में होते हुए कई बार मंगल अच्छे प्रभाव भी देता है।
वही हमें देखना है कि मांगलिक होते हुए भी मंगल ने अच्छे फल दिए तो कौन सी स्थितियां होंगी। उसके बारे में क्यों नहीं बताया जाता।क्यों लोगों को मांगलिक के नाम से डराया जा रहा है। मंगल एक पापी ग्रह है, एक नेगेटिव प्लेनेट है। जैसे हमारे नौ ग्रह होते हैं , उनमें चार ग्रहों को शुभ माना गया है , चार ग्रहों को अशुभ माना गया है। सूर्य को हमने क्रूर ग्रह माना है और जिन चार ग्रहों को हमने शुभ माना है उनमें से 2 ग्रह चंद्रमा तथा बुध ग्रह शुभ भी हो सकते हैं और अशुभ भी हो सकते हैं। तो यह सब ज्योतिष की शिक्षा का भाग है। फिलहाल अभी तक मैंने आपको यह बताया कि जब भी आप अपनी कुंडली कंप्यूटर में बनाए या हार्ड कॉपी में अपनी कुंडली देखे तो उसके प्रथम भाव, चतुर्थ भाव , सप्तम भाव , अष्टम भाव तथा द्वादश भाव 1,4,7,8, 12 भाव में किसी ने भी यदि मंगल स्थित है तो आप मांगलिक है और अगर नहीं स्थित है तो आप मांगलिक नहीं है।यह चीज आप खुद भी देख सकते हो।
अब इसमें मैं आपको एक चीज और बताना चाहता हूं कि कुंडली दो तरीके से देखी जाती है। एक होती है लग्न कुंडली और एक होती है चंद्र कुंडली। तो जनरली लोग चंद्र कुंडली से राशि को मानते हैं और आपने देखा होगा सुनार राशि रत्न बेचते हैं।
चंद्र कुंडली के आधार पर जबकि किसी भी रत्न का चुनाव चंद्र कुंडली से नहीं लग्न कुंडली से होना चाहिए। किसी भी तरह के उपाय को बताने के लिए हमें लग्न कुंडली का सहारा लेना चाहिए।मांगलिक हो या नहीं हो। इसके लिए हमें लग्न कुंडली का सहारा लेना चाहिए लग्न कुंडली की मतलब आप खुद, आपका शरीर। चंद्र कुंडली मतलब आपका मन तो मन क्या महसूस कर रहा है। यह एक अलग बात है और शरीर क्या भोग रहा है यह अलग बात है । भोक्ता शरीर ही है मन भोक्ता नहीं है। मन महसूस करता है। इसलिए ज्योतिष के अंदर लग्न कुंडली को चंद्र कुंडली की अपेक्षा ज्यादा महत्व दिया गया है। तो कुछ सुनार या कुछ लोग चंद्र कुंडली के आधार पर भविष्य बताने की कोशिश करते हैं या उपाय बताने की कोशिश करते हैं या रत्नों का चयन करते हैं जो कि पूरी तरह सही नहीं है। चंद्र कुंडली को आप साढ़ेसाती देखने के लिए गोचर के लिए या मानसिक स्थिति देखने के लिए, आप राशि का चयन करने के लिए आप इस्तेमाल में ले सकते हैं पर चंद्र कुंडली के आधार पर आप उपाय नहीं बता सकते। नहीं बताने चाहिए। यदि चंद्र कुंडली को लग्न मानते हुए चंद्र राशि को लग्न मानते हुए अगर हम मांगलिक देखेंगे तो वह पूरी तरह सही नहीं है तो हमें लग्न कुंडली से यह निर्धारित करना है कि जातक या जातिका मांगलिक है या नहीं।
अब आपने एक बात सुनी होगी कि पूर्ण मांगलिक और आंशिक मांगलिक। इसमें यही बात आ जाती है यह एक दुविधा तैयार करी गई है यदि कोई व्यक्ति लग्न कुंडली से मांगलिक है और चंद्र कुंडली से भी मांगलिक है तो वह पूर्ण मांगलिक है और यदि वह लग्न कुंडली से मांगलिक नहीं है परंतु चंद्र कुंडली से मांगलिक है तो वह आंशिक मांगलिक है जबकि इस बात मे पूरी तरह से कोई आधार नहीं है ।
अभी आगे और भी है जो कि मै कल लिखूंगा ।
अच्छा लगा पढ़कर तो जरुर बताए, अपना नाम लिख कर और दूसरो को भी शेयर करे।
पढ़ने के लिए धन्यवाद । आपका आभार ।
राकेश शर्मा
RAKESH SHARMA Cyclist 🚴♂️🇮🇳 & Astrologer
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