~ Travel and Knowledge ~

Mistakes are proof you are trying.


Cycle Blog 26 : Jalandhar Se Chandigarh

कश्मीर से कन्याकुमारी साइकल से – 

तीसरा दिन : 10 November  2019

Blog no. 26

         तभी एक फलाईओवर आया, मैं उस फलाईओवर के ऊपर से जा रहा था। तभी एक कार ने आकर मुझे आकर रोका। उसमें से एक बुजुर्ग सरदार अंकल जी निकले। उन्होंने अपनी कार से उतरते ही मुझसे हाथ मिलाया और मुझे अपने गले लगाया। उन्होंने कहा कि मैं आर्मी से रिटायरड हूँ, मैं कर्नल था। उन्होंने कहा कि मुझे गर्व है आप जैसे लोगों पर। क्योंकि आप जैसे लोगों की वजह से ही देश में जागरूकता फैलती है। आप जैसे लोग दूसरों के लिए उदाहरण बनाते हो। मैं आपसे मिलकर बहुत खुश हूँ, मैं आपको सैल्यूट करता हूँ। 

Cycle blog

आप जैसे लोगों को समाज मे बढ़ावा मिलना चाहिए। इसी तरह की उन्होंने बहुत सारी बातें करी। तभी उन्होंने अपनी जेब से अपना पर्स निकालते हुए मुझसे बोला कि क्या मैं आपके लिए कुछ कर सकता हूँ, अगर आप बुरा न मानो तो मैं आपकी पैसो से मदद करना चाहता हूँ। मैंने उनको बोला कि नहीं अंकल जी, इसकी ज़रूरत नहीं है, आपने इतना सोचा मेरे बारे में, मेरी मदद करनी चाही, यही मेरे लिए सौभाग्य की बात है। मैं ये पैसों के लिए नहीं कर रहा हूँ। मैंने उनको कहा कि मैं आपके साथ एक फोटो लेना चाहता हूँ। 

    उन्होंने मेरे से मेरा नम्बर भी लिया और कहा कि मैं बीच-बीच में आपको फोन करके आपके बारे में पूछता भी रहूँगा। उन्होंने कहा कि मैं आपके परिवार में भी फोन करूँगा और मैं उनको भी धन्यवाद देता हूँ जो इस काम में आपको सपोर्ट कर रहे हैं। फिर उन्होंने मुझे सलाह दी कि साइकल को साइड में रखकर ही चलाना। फिर वो गाड़ी में बैठ कर, जहाँ तक मेरे साथ जा सकते थे, वहाँ तक मेरे पीछे-पीछे चलते रहे। शायद मेरी केयर करने के लिए।

     फिर बस अड्डा आया, वहीं बाहर ही मुझे दो ट्रेफिक पुलिस वाले दिखे। मैं उनसे बात करना चाह रहा था, तो मैंने उनसे रास्ता पूछने के बहाने से उनसे बात करनी शुरू करी। फिर वो बोले कि रास्ता हम बाद मे बताएँगे, पहले आप हमारे साथ चाय पी कर जाओ और बताओ कि आप क्या खाओगे।

Cycle blog rakesh sharma

     मैंने उनको मना किया कि नहीं मैं कुछ नही खाऊँगा। उन्होंने मेरे साथ फोटो ली, मेरे साथ हाथ मिलाया। वहीं थोड़ी दूर खड़े ट्रेफिक पुलिस वाले भी आ गए। वो भी मेरे साथ गले मिले और मुझसे हाथ मिलाया। मैंने उन सबके साथ एक फोटो भी ली। फिर वहाँ से मैं जालन्धर छावनी से होता हुआ दिल्ली की तरफ जाने वाले रास्ते से आगे बढ़ने लगा।

     अब फगवाड़ा आने वाला था। फगवाड़़ा, जालन्धर से अगला शहर है। अब मैंने अपनी साइकल की रफ्तार तेज़ कर दी थी। फिर लवली पब्लिक यूनिवर्सिंटी आईं। वहाँ मैं थोड़ी देर रूका, उसे देखा। वहाँ ज्यादातर बहुत भीड़ रहती है। स्टूडेन्ट आते जाते रहते है। काफी बड़ी यूनिवर्सिंटी है। टीवी पर भी बहुत एड आती है इसकी। फिर मैं वहाँ से चल पड़ा। 

     मैंने सोचा कि पंजाब-दिल्ली वाले रास्ते से मैं बहुत बार आया गया हूँ। हर साल लगभग दो तीन बार मे गाड़ी से आता जाता हूँ। तभी एक बोर्डं आया -चण्डीगढ़। उस पर तीर बना था कि उल्टे हाथ पर जाने पर चण्डीगढ़ आएगा और सीधा जाने पर दिल्ली आएगा। गूगल पर मैंने दोनो रास्ते चेक किए थे। तो मैंने फैसला लिया कि मैं चण्डीगढ़ होते हुए ही आगे जाऊँगा।

     क्योंकि इस बहाने से मैं चण्डीगढ़ शहर जिसका मैंने बहुत नाम सुना है कि काफी साफ-सुथरी और एक प्लान्ड सिटी है। इसको मिनी पेरिस भी बोलते हैं, को भी देख लूँगा। इसलिए मैं वहाँ से चण्डीगढ़ वाली साइड पर मुड़ गया, दिल्ली न जाकर। तो अब रोपड़ आना था पहले, मैं उस तरफ बढ़ गया।

Cycle blog rakesh sharma

     पंजाब एक बहुत हरियाली वाला प्रदेश है। वहाँ चारो तरफ खेत ही खेत हैं। वहाँ की हवा में भी बहुत ताज़गी होती है। जिस रास्ते पर मैं जा रहा था, वो रास्ता नया बना लग रहा था। रास्ता एकदम खाली था, ठण्डी हवा चल रही थी, मुझे ज़ुखाम भी था, पर मैं साइकल को तेज़ चलाता हुआ, उस सड़क का मज़ा लेते हुए साइकल चला रहा था। धूप भी निकल रही थी, मौसम साफ़ था।

     पंजाब में सबसे ज्यादा स्कूटी चलाई जाती है, और ज्यादातर लड़कियाँ वहाँ टूव्हीलर चलाती हैं। तभी वहाँ एक स्कूटी आकर रूकी। उस पर दो लड़के बैठे थे। वो मेरे साथ चलने लगे और मुझसे बात करने लगे। उन्होंने मुझसे पूछा कि दिन मे कितने घन्टे चलाते हो, तो मैंने कहा कि लगभग 10 से 12 घन्टे चला लेता हूँ। मैंने उनको बताया कि मैं सुबह 6 बजे के आसपास साइकल चलाना शुरू करता हूँ। पर कई बार देरी भी हो जाती है। अन्धेरा होने से पहले मेरी कोशिश होती है कि मै कोई जगह ढूँढ़ लूँ रहने के लिए।  इसी तरह वो मुझसे सवाल करते रहे और मैं उनको जवाब देता रहा। फिर उन्होंने मुझसे पूछा कि क्या आप चाय पीते हो, मैंने कहा कि हाँ पीता हूँ। तो उन्होंने कहा कि आप हमारे साथ चाय पीयो। मैंने कहा कि ठीक है। पर वो रास्ता एकदम सुनसान था, वहाँ दूर दूर तक कोई दुकान नहीं थी। दोनों तरफ खेत ही खेत थे। फिर हम चलते रहे किसी दुकान के इन्तज़ार में। 

Cycle blog rakesh sharma

     15 से 20 मिनट तक हम साथ में चलते रहे, वो मुझसे ऐसे ही सवाल पूछते रहे और मैं उनके सवालों का जवाब देता रहा। कुछ सवाल मैंने भी उनसे पूछे कि वो कहाँ से हैं, यहाँ क्या कर रहे हैं। तो ऐसे ही सवालों के साथ हम चलते रहे। तभी वहाँ रास्ते में एक होटल आया, जैसे कि हाइवे पर होते है। वो मुझे वहाँ लेकर गए। मैंने वहाँ पहुँच कर सबसे पहले अपना हाथ-मुँह धोया। मेरे कपड़े भी रास्ते के प्रदूषण से काले हो चुके थे। मैंने रिफलेक्टिन्ग जैकट पहनी थी, उस पर कालापन जल्दी दिखता था। उन्होने मुझसे पूछा कि आप क्या लोगे तो मैंने उनको बोला कि आप मुझे काॅफी मगवा दो। क्योंकि मैं थोड़ी सी सुस्ती सी महसूस कर रहा था। इसलिए मैंने सोचा कि काॅफी पीने से थोड़ी एनरजी आ जाएगी। उन्होंने पूछा कि आप कुछ खाओगे, मैंने मना किया पर फिर भी उन्होंने काॅॅफी के साथ बिस्कुट मंगवाए।  मैं वहाँ 10 मिनट तक बैठा, इस बहाने से मुझे भी आराम मिल गया था। 

     इसी दौरान मैंने उनसे पूछा कि आप क्या करते हो। तो उन्होंने बताया कि उनका कपड़ो का बिज़नेस है। मैंने पूछा कि क्या आपकी शाॅप है, तो उन्होने मुझे बताया कि उनके पास नये-नये डिज़ाइन की एलबम होती है और वो जिस घर में शादी होती है वहाँ नये डिज़ाइन के सूट की एलबम लेकर उस घर मे जाते है और उनको दिखाते हैं। अगर उनको उसमें से कुछ सूट पसन्द आते हैं तो वो उनको लुधियाना या दिल्ली से वो सूट लाकर, उनके साइज़ के अनुसार करके देते है। 

     फिर मैं अपनी काॅफी खत्म करके वहाँ से चल पड़ा रोपड़ की तरफ। आगे मुझे वो रोड बनता हुआ मिला, जिसकी वजह से वो मुझे नया भी लग रहा था। मैं अपनी साइकल चलाता रहा, रोड खाली था। कभी मैं तेज़ चलाता था, कभी हल्की चलाता था। जब मेरी स्पीड तेज़ होती थी तब मैं लगभग 25 से 30 किलोमीटर की स्पीड से चलाता था और जब हल्की होती थी तब मैं लगभग 15 से 20 किलोमीटर की स्पीड से चलाता था। शाम होते होते तो मेरी स्पीड अपने आप ही कम हो जाती थी और रात तक तो मेरी स्पीड 10 या 12 तक पहुँच जाती थी। 

      खाली रोड है, अकेले चलाते जा रहा हूँ, दोनो तरफ खेत ही खेत है, कई घन्टे बीत गए। भूख अभी कुछ खास लगी नहीं थी। तभी एक कार मेरे आगे आकर रूकी। 

Cycle Blog Rakesh Sharma

2 responses to “Cycle Blog 26 : Jalandhar Se Chandigarh”

  1. Great journey,Inspiring society

  2. Nice to read, Felt as if I was traveling alongside you

Leave a Reply

Blog at WordPress.com.

%d bloggers like this: