Who are the 2 greatest personalities who visited Kanyakumari ?
वो कौनसी दो महान हस्ती हैं जिन्होंने कन्याकुमारी की यात्रा की है ?
इस सवाल का जवाब मेरे मन में एकदम सटीक और साफ़-साफ़ है । वो पहली महान हस्ती हैं स्वामी विवेकानंद जी और दूसरी मै खुद को मानता हूँ । चौंकिये नहीं मै अभी साबित करता हूँ । फिर आप खुद फैसला करना और कॉमेंट करके बताना । क्या मै सही हूँ ।
नरेंद्रनाथ दत्ता / Narendranath Dutta
Swami Vivekanand ji
चलिये शुरू करते है :-
दोस्तो मै स्वामी विवेकानंद जी के बारे मे ज्यादा नहीं जानता था और ज्यादा जानने मे मेरी कोई दिलचस्बि भी नहीं थी क्यौंकि मै उन्हे बाकी सन्यासीयों कि तरह ही मानता था कि वह भी धर्म के रक्षक है, भगवा पहने धर्म गुरू या हिन्दू धर्म के प्रचारक, हमेशा अपने धर्म को ही सही और बड़ा मानने वाले, अपने धर्म की कमियों के बारे मे बात ना करने वाले, अपने पूर्वजों की गल्तियों पर या अब धर्म में आई वर्तमान की कमियों पर बात ना करने वाले या कट्टरपंथी स्वामी या सन्यसी है। जैसे की ज्यादातर स्वामी या सन्यसी, गुरू होते है दुनिया के हर धर्म में।
शिकागो का वो महान भाषण, जो की एक महान नहीं एक साधरण बात थी।
दोस्तो पहले आप ये जान ले कि उन्होँने शिकागो के धर्म अधिवेशन में क्या कहा था । शिकागो के अपने लोक प्रिय भाषण में ।
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Vivekanand Kendra beach
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शिकागो में स्वामी विवेकानंद जी का भाषण :-
11 सितम्बर 1893, शिकागो, अमरीका
हिन्दी अनुवाद
नमस्कार मेरे भाईयों और बहनों
आपके इस स्नेहपूर्ण और जोरदार स्वागत से मेरा हृदय अपार हर्ष से भर गया है। मैं आपको दुनिया की सबसे प्राचीन संत परंपरा की तरफ से धन्यवाद देता हूं। मैं आपको सभी धर्मों की जननी की तरफ से धन्यवाद देता हूं और सभी जाति, संप्रदाय के लाखों, करोड़ों हिन्दुओं की तरफ से आपका आभार व्यक्त करता हूं। मुझे गर्व है कि मैं एक ऐसे देश से हूँ जिस सभी धर्म के लोगों की मदद की और शरण दी । चाहे वो इस्रायली हो या पारसी । कुछ बुरे लोगों ने हिंसा करके कई देशो से धर्म को, कई सभ्यता को समाप्त किया । एक गीता का उपदेश कहा और कुछ बात अपने हिन्दू धर्म की तारीफ़ मे कही, कुछ देश की तारीफ़ मे। पूरा भाषण आपको गूगल, यूट्यूब या स्वामी विवेकानंद जी पर लिखी किताबो में मिल जायेंगा।
अब आप एक तार्किक दिमाग से सोचिये । ये भाषण अच्छा तो है पर इसमें एतिहासिक जैसी क्या बात है।
भारत में तो हर चौराहे पर, चाय की दूकान पर, पान के खोके पर, चौपाल पर आपको ज्ञानी मिल जाएँगे । शास्त्रो का ज्ञान देते मिल जाएँगे। कुछ तो देव भाषा संस्कृत भी जानते है और शास्त्र भी। और उनमे से ज्यादातर को तो इस भाषण के बारे में पता भी नहीं होगा।
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Swami Vivekanand Kendra, Kanyakumari |
इस तरह की बाते एक समान्य दिमाग करेगा ही। की शान्ती रखो। भगवान, ईश्वर , अल्लाह मे मानो इत्यादि । 5000 साल पहले श्री कृष्ण ने कहीं, 1400 साल पहले पेगम्बर ने कहीं, 2000 साल पहले ईसामसी ने कहीं। शब्द, भाषा, स्थान, वाक्य अलग-अलग जरूर रहे । बुध और महावीर ने भी इसी तरह के आनंददायक उपदेश दिये। तकरीबन-तकरीबन संसार के सभी संत, धर्म गुरू, स्वामी इस तरह की बाते करते आये हैं और कर भी रहे हैं । इसमें एतिहासिक जैसा क्या है। इसके बाद भी आप लोगो कि सफलता और सुख शान्ती का प्रतिशत देख लो।
आप ही सोचिए अपने तार्किक मन से….
अब सवाल उठता है कि मैं इस तरह के विचार रखता हूं तो उन्हें महान क्यों मानता हूँ।
क्यों कि उनके बहुत सारे विचार ऐसे हैं जिन्हे हम क्रांतीकारी विचार कह सकते है । जिन्हे दबाया जा रहा है । जिस वजह से ये विचार लोगो के बीच में प्रसिध्द नहीं है । क्यौंकि इन विचारो के बाहर आने से उन लोगो को नुक्सान होगा जो लोग उन्हीं के नाम से संगठन या सरकार चलाते है। क्यों की स्वामी जी के विचार उनकी की नीयत बता देते है। पोल खोल देते हैं ।
उनमें से कुछ विचार मै आपके सामने रख रहा हूँ (छोटे मे)
जो विचार आपके सामने खुल के नहीं आने दिये :-
● स्वामी विवेकानंद जी ने कहा था की दुनिया के हर धर्म ने योग्य स्त्री और पुरुष दिये है।
● सभी धर्म अच्छे हैं और लोगो को सही रास्ता दिखाते है
● संसार मे जो भी धर्म केवल अपने आप को ही सर्वश्रेष्ठ माने और दूसरे धर्म को दबाने की कोशिश करे उसका स्वंय ही पतन हो जायेगा।
● हिन्दूस्तान के लोग पाखंडी हैं । धर्म को मानने का दावा करते हैं और अपनी दिनचर्या में उसके विपरित काम करते हैं ।
● अंग्रजो से, पश्चिमी सभ्यता और देशो से प्रभावित रहते हैं । उनकी तरफ उमीदें लगाये रहते हैं ।
● जब तक हिन्दूस्तान के लोग नहीं बदलते, सफलता पाना मुश्किल है ।
● भारत के लोग अशिक्षित, धार्मिक(कट्टर धार्मिक) और भावुक है। इत्यादी ……
मैं उनकी इस तरह की तार्किक सोच की वजहों से ही महान मानता हूँ ।
25 दिसंबर 1892 को स्वामी विवेकानंद जी कश्मीर से शुरु कर पूरे भारत की यात्रा करते हुए कन्याकुमारी पहुंचे थे ।
दूसरा महान हस्ती मैं खुद को मानता हूँ क्योंकि एक तो मै अपने आप से प्यार करता हूँ और मै भी कश्मीर से कन्याकुमारी साइकिल से अकेले बिना एक भी रूपये के साथ यात्रा करते हुए 12 राज्य, सैंकड़ों शहर, हजारों गांव पार करते हुए, 4384 किलोमीटर 51दिन मे साइकिल चला कर, लगभग एक लाख लोगों से सम्पर्क करते हुए 25 दिसम्बर 2019 को पहुंचा था ।
(यात्रा से जुड़े सभी वीडियो यू-टयूब पर मौजूद है) Click here
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25 December 2019 last day
K2K journey has been completed
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बिना विवेकानंद जी के बारे मे जाने उस दिन मेरा भी येही विचार था और है की
हिन्दूस्तान कभी तरक्की नही कर सकता।
भारत केवल तभी सफल हो सकता है जब भारत के लोंगो का मानसिक विकास हो।
- धर्म के रहते दिमाग खुलना बहुत मुश्किल है।
- धर्म के नाम पर लोग मरने मारने को तैयार है।
- सभी अपने अपने धर्म को महान बताने मे लगे है। इस लिये कई बार झूठी कहानीया भी फैलाते हैं या मान लेते है ।
- बात बात पर हर धर्म खतरे मे आ जाता है ।
- लोग अपनी काबिलियत तो बड़ाते नही, धर्म से उमीद करते है।
- अगर स्वामी विवेकानंद जी की ये बाते जिस दिन भारत के लोगो ने मान ली तो धर्म स्थल, धर्म गुरू और सरकार लोगों को अपने काबू में नहीं रख पायेंगे ।
आप सोच रहे होंगे कि मुझे स्वामी विवेकानंद जी के विचार कैसे पता चले।
तो 26 दिसम्बर 2019 को मै विवेकानन्द केन्द्र, कन्याकुमारी मे गया (अपनी यात्रा खत्म होने के एक दिन बाद) और वहां पर 2 जनवरी 2020 तक रहा । वहीं पर उनके इन विचारो के बारे में मुझे पता चला । उनके मियुसियम मे उनके कुछ लिखे विचारो से। हालांकी केंद्र के ज्यादातर लोगों के विचार मुझे अपने देश को लेकर, धर्म को लेकर कट्टर लगे । जो की स्वामी विवेकानंद जी से अलग थे । पर सभी के नहीं।
एक विशेष बात
बहुत कुछ नया पता चला विवेकानंद केंद्र मे। केंद्र के लोगो की ओर से मिले मान सम्मान को कभी नहीं भूलूंगा ।अपने जीवन में एक बार विवेकानंद केंद्र जरुर जाएँ और जाने स्वामी विवेकानंद जी के बारे मे वो जो सबको नहीं पता।
मेरा ये लेख आपको कैसा लगा जरूर बताएं message या comment करके।
धन्यवाद
राकेश
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